‘सपने उन्हीं के पूरे होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है।
अकेले पंखों से कुछ नहीं होता हौंसलों से ही उड़ान होती है '
इन
पंक्तियों को साकार किया है अमौसी स्थित अवध विहार कालोनी में रहने वाले राजेश
विश्वकर्मा के बेटे तुषार ने। वह सरोजनीनगर के क्रिएटिव कॉन्वेंट स्कूल का छात्र
है। दोनों हाथ तिरछे होने के कारण ठीक से काम नहीं करते हैं। इसके बाद उसने पढ़ाई
की लगन और कठिन परिश्रम से पैरों से ही हाथ का काम भी करना शुरू कर दिया। शारीरिक
समस्या के बाद भी तुषार ने 67 प्रतिशत नम्बर के साथ दसवीं
बोर्ड परीक्षा पास की है। तुषार ने अपनी मेहनत से जीवन में आने वाली मुश्किलों का
बहाना बनाकर बैठ जाने वाले लोगों के लिए उदाहरण पेश किया है।
पिता राजेश विश्वकर्मा ने बताया कि तुषार ने यह सिद्ध कर दिया कि “मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।“ तीन भाई-बहनों में तुषार सबसे छोटा है। दोनों बच्चे सामान्य हैं पर तुषार के जन्मजात दोनों हाथ तिरछे हैं। अपने भाई और बहन को स्कूल जाता देख वह भी साथ में स्कूल जाने की जिद करता था। पहले तो घर पर ही उसे पढ़ाने की कोशिश की गई लेकिन उसकी जिद के आगे हार मानकर उसे भी स्कूल भेजा जाने लगा। हाथ काम न करने से शुरुआत में काफी परेशानी हुई। अन्य बच्चों को हाथ से लिखता देख वह भी हाथ से लिखने की जिद करता था।
शिक्षकों की हौसला अफजाई से तुषार का आत्मविश्वास बढ़ा और उसने पैरों की अंगुलियों में पेंसिल फंसाकर लिखना सिखा। धीमे-धीमे उसने पैर से हाथ की तरह लिखना शुरू कर दिया। आज उसने बोर्ड परीक्षा फर्स्ट डिविजन पास कर हम सबका मान बढ़ाया है।
पिता राजेश विश्वकर्मा ने बताया कि तुषार ने यह सिद्ध कर दिया कि “मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।“ तीन भाई-बहनों में तुषार सबसे छोटा है। दोनों बच्चे सामान्य हैं पर तुषार के जन्मजात दोनों हाथ तिरछे हैं। अपने भाई और बहन को स्कूल जाता देख वह भी साथ में स्कूल जाने की जिद करता था। पहले तो घर पर ही उसे पढ़ाने की कोशिश की गई लेकिन उसकी जिद के आगे हार मानकर उसे भी स्कूल भेजा जाने लगा। हाथ काम न करने से शुरुआत में काफी परेशानी हुई। अन्य बच्चों को हाथ से लिखता देख वह भी हाथ से लिखने की जिद करता था।
शिक्षकों की हौसला अफजाई से तुषार का आत्मविश्वास बढ़ा और उसने पैरों की अंगुलियों में पेंसिल फंसाकर लिखना सिखा। धीमे-धीमे उसने पैर से हाथ की तरह लिखना शुरू कर दिया। आज उसने बोर्ड परीक्षा फर्स्ट डिविजन पास कर हम सबका मान बढ़ाया है।