अब पैरालाइज
मरीज खुद बिस्तर पर करवट ले सकेंगे। आईआईटी दिल्ली में एमटेक स्कॉलर्स ने पैरालाइज
मरीजों के लिए ऐसी तकनीक विकसित की है, जिसमें वे बिना किसी दूसरे का सहारा लिए
करवट ले सकेंगे। खास बात यह है कि पैरालाइज मरीजों के लिए यह विशेष बेड महज पांच
हजार रुपये में उपलब्ध होगा।
आईआईटी दिल्ली
कैंपस में शनिवार को 15वां ओपन हाउस आयोजित हुआ। कार्यक्रम में करीब तीन सौ से अधिक
शोध कार्यों को प्रदर्शित किया गया। एमटेक प्रोग्राम के डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड
मैकेनिक कोर्स के शोधार्थी सचिन कुमार व कृष्ण कुमार ने यह तकनीक ईजाद की है।
आईआईटी शोधार्थी व मुरादाबाद निवासी सचिन के मुताबिक, अक्सर अस्पताल या
घरों में पैरालाइज मरीज को दूसरे के सहारे ही निर्भर रहना पड़ता है। थोड़े दिन तो
सब देखभाल करते हैं, लेकिन धीरे-धीरे परेशान हो जाते हैं।
घरवालों की बेरुखी से पैरालाइज मरीज हताश हो जाता है। ऐसे मरीजों की दिक्कतों को दूर करने के मकसद से बेड टू रॉल बेडरीडन पेशेंट नाम से तकनीक ईजाद की है, जोकि बेहद सस्ती है। बाजार में मिलने वाले लोहे के बेड (फोल्डिंग बेड) को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें लकड़ी के तीन तख्ते लगे हुए हैं। बेड के नीचे घुमाने के लिए पेंच और ऑटोमेटिक यंत्र लगाया गया है, जो कि मरीज खुद चलाकर करवट ले सकता है। इस तकनीक का ट्रायल सफल रहा है। इसी के कारण आईआईटी तकनीक को पेटेंट करवा रहा है।
हाइट एडजस्टेबल व्हील चेयर से मरीजों को मिली आजादी
एमटेक डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैकेनिक कोर्स के शोधार्थियों ने हाइट एडजस्टेबल व्हील चेयर तकनीक भी ईजाद की है। यह व्हील चेयर महज छह हजार रुपये में उपलब्ध होगी। इसमें साइकिल के टायर में हवा भरने वाले पंप का प्रयोग किया गया है। पंप को चलाने से व्हील चेयर पीछे की साइड से ऊपर बेड या फिर टायलेट शीट तक उठ जाएगी। इसके बाद मरीज बेड या फिर टायलेट शीट पर बिना किसी दूसरे के सहारे बैठ सकेगा। आईआईटी दिल्ली एम्स में इसका ट्रायल करवा रहा है। फिलहाल छह महीने से ट्रायल में शोधार्थियों को सफलता मिली है।
स्कूली छात्र इंजीनियरिंग और साइंस की तकनीक से हुए रूबरू
आईआईटी ओपन हाउस में दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, पानीपत व रोहतक तक के स्कूली छात्र पहुंचे हुए थे। आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. वी रामगोपाल राव ने छात्रों को ओपन हाउस की जानकारियां दी। इसके बाद छात्रों को तकनीक, इंजीनियरिंग व साइंस लैब तक घूमने का मौका मिला। ओपन हाउस में नौवीं, दसवीं, 11वीं, व 12वीं कक्षा के हजारों छात्र पहुंचे हुए थे।
घरवालों की बेरुखी से पैरालाइज मरीज हताश हो जाता है। ऐसे मरीजों की दिक्कतों को दूर करने के मकसद से बेड टू रॉल बेडरीडन पेशेंट नाम से तकनीक ईजाद की है, जोकि बेहद सस्ती है। बाजार में मिलने वाले लोहे के बेड (फोल्डिंग बेड) को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें लकड़ी के तीन तख्ते लगे हुए हैं। बेड के नीचे घुमाने के लिए पेंच और ऑटोमेटिक यंत्र लगाया गया है, जो कि मरीज खुद चलाकर करवट ले सकता है। इस तकनीक का ट्रायल सफल रहा है। इसी के कारण आईआईटी तकनीक को पेटेंट करवा रहा है।
हाइट एडजस्टेबल व्हील चेयर से मरीजों को मिली आजादी
एमटेक डिपार्टमेंट ऑफ एप्लाइड मैकेनिक कोर्स के शोधार्थियों ने हाइट एडजस्टेबल व्हील चेयर तकनीक भी ईजाद की है। यह व्हील चेयर महज छह हजार रुपये में उपलब्ध होगी। इसमें साइकिल के टायर में हवा भरने वाले पंप का प्रयोग किया गया है। पंप को चलाने से व्हील चेयर पीछे की साइड से ऊपर बेड या फिर टायलेट शीट तक उठ जाएगी। इसके बाद मरीज बेड या फिर टायलेट शीट पर बिना किसी दूसरे के सहारे बैठ सकेगा। आईआईटी दिल्ली एम्स में इसका ट्रायल करवा रहा है। फिलहाल छह महीने से ट्रायल में शोधार्थियों को सफलता मिली है।
स्कूली छात्र इंजीनियरिंग और साइंस की तकनीक से हुए रूबरू
आईआईटी ओपन हाउस में दिल्ली, गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, पानीपत व रोहतक तक के स्कूली छात्र पहुंचे हुए थे। आईआईटी दिल्ली के डायरेक्टर प्रो. वी रामगोपाल राव ने छात्रों को ओपन हाउस की जानकारियां दी। इसके बाद छात्रों को तकनीक, इंजीनियरिंग व साइंस लैब तक घूमने का मौका मिला। ओपन हाउस में नौवीं, दसवीं, 11वीं, व 12वीं कक्षा के हजारों छात्र पहुंचे हुए थे।