वह देश के लिए मेडल जीतने का ख्वाब देखने वाला एक जिमनास्ट था। बिजली की
चपलता से जब कलाबाजियां खाता तो देखने वाले कह उठते कि एक दिन उसका सपना जरूर सच
होगा। जीतोड़ प्रेक्टिस के दौरान 30
मई 2009 को ऐसी
बीमारी हुई, जिसने
मंजिल की ओर बढ़ते उसके पांव बेकार कर दिए। ऑपरेशन के चार साल बाद वह व्हीलचेयर पर
बैठा तो उसके सपने भी बिस्तर से उठ खड़े हुए। उसने इंटरनेट पर पैरागेम्स के बारे
में जानकारी ली। फिर व्हीलचेयर पर बैठे-बैठे पैरा एथलीट के तौर पर यूपी को कई मेडल
दिला दिए। अब देश के लिए मेडल लाने वह दुबई जाने वाला है।
किसी फिल्मी स्टोरी की तरह लगने वाली यह कहानी बलरामपुर सिविल लाइंस में
रहने वाले हर्षवर्धन (20)
की है। इन
दिनों वह नवंबर में दुबई में होने जा रहे पैरा ओलंपिक की तैयारियों में जीजान से
जुटे हैं। वह वहां देश की ओर से व्हीलचेयर मैराथन में प्रतिभाग करेंगे। गृहिणी मां
सीता और प्राइवेट नौकरी करने वाले पिता हिमांशु दीक्षित उन्हें उत्साहित करते रहते
हैं। बीमारी के बीच करीब आठ साल पहले शुरू हुए शगल ‘मॉडर्न हार्ड रॉक सिंगिंग’ से वह
प्रेक्टिस के दौरान तबीयत हल्की करते रहते हैं। वह नियमित रूप से यू-ट्यूब चैनल ‘एससीआइ
स्पाइन केयर इंडिया’
पर ट्रेनर
के रूप में स्पाइनल कार्ड इंजरी से पीड़ित लोगों में हौसला भी भरते हैं। वह बरेली
में फुटबॉल का प्रशिक्षण ले रहे अपने छोटे भाई यशवर्धन (16) के लिए
प्रेरणाश्रोत हैं। यशवर्धन को भी अपने बड़े भाई पर गर्व है।
पैरा एथलीट के रूप में अब तक ये हैं उपलब्धियां
जालंधर में आयोजित पांच किलोमीटर व्हीलचेयर मैराथन व क्लब थ्रो गेम्स में
प्रदेश का प्रतिनिधित्व कर रजत पदक हासिल किया। इससे पहले चतुर्थ उप्र पैरा
एथेलेटिक्स चैंपियनशिप के डिस्कस थ्रो में दूसरा स्थान हासिल किया। इसके साथ अब तक
यूपी के लिए 11 पदक हासिल
किए हैं।
- जिमनास्ट को दिव्यांगता ने जकड़ा तो पैरा एथलीट बनकर जीते मेडल
- बलरामपुर के हर्षवर्धन का चयन पैरा ओलंपिक के लिए भारतीय टीम मे