Sunday, July 1, 2018

लक्ष्मी कुमार ने हौसले से दिव्यांगता को दी मात, अब इंग्लिश चैनल पार करने की हसरत


जन्म से दोनों पैर से दिव्यांग लक्ष्मी कुमार साहनी उन लोगों के लिए आईना हैं, जो सफलता के लिए कमियों का रोना रोते है। साहस के धनी इस युवा ने अपनी कमजोरी को ही सफलता में बदल दिया। चार-चार दिनों तक नदी में ही रहते है। नदियों की लहरें इनके लिए बिछौना बन गई हैं। तैराकी में राष्ट्रीय स्तर के कई पुरस्कार अपने नाम कर चुके हैं। लक्ष्मी साहनी यूरोप के इंग्लिश चैनल को पार कर देश का नाम विश्व फलक पर पहुंचाने की हसरत मन में संजोए हुए हैं। 
बलिया जिले के बांसडीह थाना क्षेत्र के हालपुर के रहने वाले लक्ष्मी (26) ने तैराकी में वर्ष 2011 में हुए नेशनल पैरा ओलिंपिक्स में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया था। इसके बाद इलाहाबाद में हुए नैशनल चैम्पियनशिप में सिल्वर मेडल हासिल किया। वर्ष 2013 में चेन्नई में आयोजित नैशनल चैम्पियनशिप में गोल्ड, सिल्वर और ब्रॉन्ज तीनों ही पदक अपनी झोली में गिराए। 
बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय से बीकॉम में स्नातक लक्ष्मी ने बताया कि वह नदी में ही रहकर अपनी दिनचर्या पूरी कर लेते है। पानी के अंदर भोजन करना, पूजा करना, अखबार पढ़ना और यहां तक की लोगों से मोबाइल पर बात करना भी ये बड़ी आसानी से कर लेते हैं। उनके इस करतब को देख लोग दंग रह जाते हैं। 

इंग्लिश चैनल पार करने की तमन्ना 
बकौल लक्ष्मी बनारस से बलिया के मध्य बहने वाली 
गंगा में 78 किलोमीटर का सफर महज 17 घंटे 34 मिनट में पूरा करके उन्होंने रेकॉर्ड बनाया है। उनकी तैराकी की स्पीड 1 मिनट में 50 मीटर आंकी गई। तैराकी में महारथ हासिल करने के बाद अब यूरोप में 42 किलोमीटर चौड़े इंग्लिश चैनल को तैर कर पार करने की हसरत उन्होंने पाली है। बहराइच में प्रशासन ने बाढ़ से निपटने के लिए गोताखोरों को तैयार करने की अपील प्रधानों से की, तो चित्तौरा ब्लॉक के शहनवाजपुर के प्रधान अनिल निषाद के निमंत्रण पर बहराइच पहुंच कर गोताखोरों को ट्रेंड करने में जुट गए हैं। लक्ष्मी बताते है कि दिव्यांग होने का उन्हें जरा भी मलाल नहीं है।