Friday, June 1, 2018

ये देख नहीं सकती लेकिन है काबिलियत और हिम्मत


यह देख नहीं सकती। पर, इसे उसने कमजोरी नहीं बनने दिया। सीबीएसई की 12वीं आर्ट्स ग्रुप में 76.6 फीसदी अंक लाई। स्कूल की टॉप टेन लिस्ट में जगह बनाई। अपने जुनून के चलते वह अब औरों के लिए मिसाल है।
सीतापुर रोड स्थित प्रीतिनगर की रहने वाली वंशिका श्रीवास्तव जब कक्षा 6 में थी, बीमारी ने उसके आंखों की रोशनी छीन ली। केजीएमयू के पैथोलॉजी डिपार्टमेंट में सीनियर लैब टेक्निशियन संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि यह हमारे लिए गहरे सदमे जैसा था।

पर, हमने इसे कमजोरी नहीं बनने दिया। बेटी पढ़ना चाहती थी। यह बचपन से ही ऐसी थी कि जो ठान लिया उसे करना ही है। हमें विश्वास था कि बेटी जरूर कामयाब होगी।

हमें पता चला कि मोती महल में आरबीएसआई संस्था के बारे में पता चला जहां दृष्टिहीन बच्चों को पढ़ाया जाता है । मैंने उसे वहां भेजा। उसने वहां ब्रेल लिपि सीखी। 10वीं में वंशिका ने 62 फीसदी अंक हासिल किए। हौसला और बढ़ा।

सामान्य बच्चों के साथ की पढ़ाई

संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि वंशिका ने अपनी कामयाबी से हमें हौसला दिया। हमने उसे समाज की मुख्यधारा में लाने के लिए अलीगंज के आरके  सीनियर सेकंडरी स्कूल में दाखिला दिला दिया।

इस स्कूल में सामान्य बच्चे पढ़ते हैं। (हंसते हुए) अब तो वंशिका लैपटॉप चला लेती है...। अपने छोटे भाई-बहनों को भी पढ़ाती है। वंशिका की मां रजनी श्रीवास्तव पोस्ट ग्रेजुएट हैं।

वह कहती हैं वंशिका हमारी बेटी नहीं बेटा है। वंशिका की सिर्फ पढ़ाई ही में ही नहीं, घर के काम में भी रुचि है। इंडक्शन चूल्हे पर रोटी बनाना और सब्जी काटना भी सीख लिया। हम लोगों का बहुत खयाल रखती है ये।

वंशिका के पिता संजय श्रीवास्तव बताते हैं कि हमें बेटी पर नाज है। हमने उसे कभी बोझ नहीं समझा। वह बहुत सहनशील है और उसकी इच्छा शक्ति के आगे कोई भी बाधा नहीं आती जो सोचती है वह करके ही दम लेती है।

मुझे बनना है आईएएस अफसर

ईश्वर में हमेशा ही भरोसा रहा। जहां भी मंदिर पड़ता सिर झुका लेती उसे ईश्वर से कोई शिकायत नहीं। अपनी इस कमी के लिए भगवान को दोष नहीं देती। आज भी नवरात्र के सारे ब्रत रहती है।

अन्य अभिभावकों को संदेश है कि बच्चा जैसा भी हो, बेटो हो या बेटी हो या फिर दिव्यांग ही क्यों न हो बच्चे की रुचि के हिसाब से उस पर ध्यान देना चाहिए। 

वंशिका बताती है लैपटॉप में ईबुक डाउनलोड कर रखा है। इसमें आरडीओ होता है। इसे सुनकर हम याद कर लेते हैं । जो कठिन शब्द होते हैं उनके  ब्रेल के जरिये नोट्स बना लेती हूं।

स्कूल से आने बाद रात 11 बजे तक सिर्फ पढ़ाई करती हूं । ग्रेजुएशन के साथ साथ मैं सिविल सर्विसेज  की तैयारी करूंगी। सपना है कि मैं आईएएस बनकर समाज और देश हित में कुछ कर सकूं।