अगर कुछ करने का
जज्बा आपके मन में है तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको नहीं रोक सकती. जिन्होंने
दिखा दिया अगर कुछ करना है तो सबसे पहले अपनी कमजोरी को ताकत बनाना होगा.
शीला शर्मा ने
अपने दोनों हाथ और दाहिने पैर की उंगलियां को एक ट्रेन हादसे में गंवा दिया था. जब
उनके साथ ये हादसा हुआ उस समय वह महज चार साल की थी. बिना हाथ और पैरों कैसे जीवन
जिया जाता है इसका शायद हमें अंदाजा नहीं है, पर शीला ने दुनिया को दिखा दिया कि वह और लोगों से
अलग नहीं है. ना उन्हें किसी सहारे की जरूरत है और ना किसी के तरस की. उन्होंने
अपने बलबूते जिंदगी जीना सीखा
उन्होंने दूसरे
पैर की उंगलियां की मदद से लिखना और चित्रकारी करना शुरू किया. वह प्रकृति और
महिला पर आधारित विषयों पर चित्रकारी बनाती हैं. उनकी बनाई हुई पेंटिंग पर ये यकीन
करना कि पेंटिग में हाथों से नहीं बल्कि पैरों से रंग भरे गए हैं, मुश्किल लगता है. पर ये सच है. आज उनकी पेंटिग दिल्ली, लखनऊ, बेंगलुरु और मुंबई में एग्जीविशन लगा चुकी
हैं.
शीला बताती हैं कि जब वह अपने सपने और जुनून के पीछे जी जान से
लग गई थी, उस दौरान उन्हें काफी आलोचनाओं का
सामना करना पड़ा था. लेकिन आज मेहनत रंग लाई. शीला आज बातौर चित्रकार जानी जाती
हैं. उन्हें लोग फुट पेंटर के नाम से भी जानते हैं.